परमात्मा से ऊँचा कोई रिश्ता नहीं

नमस्कार दोस्तों , 
                              पिछले ब्लॉग में मैंने लिखा था कि परमात्मा को पाने के लिए आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है , आप सत्संग में जाते हो या कही धार्मिक स्थान पर जाते हो आपको लगता है वहाँ कुछ न कुछ जरूर है , तभी तो  आपके मन को शान्ति मिल रही है पर नहीं ऐसा नहीं है जब आप किसी सत्संग पर जाते है तो बच्चों को कुछ समय के लिए भूल जाते है घर भूल जाते है क्योकि वहाँ सैंकड़ो लोग बैठे होते है पर आप सब को चुप रहने की हिदायत होती है , इसलिए सभी चुप करके बैठ जाते है और सत्संग करने वाले एक आदमी पर  ही फोकस कर लेते है इसे कहते है ध्यान। यही होती है शांति जिसे आप बाहर ढूढ़ते है कभी आप घर में भी शांत कमरे में बैठ जाये उसके बाद कुछ मत सोचिये सिर्फ परमात्मा के बारे में सोचिये जिसने पूरी दुनिया को बनाया है फिर आपको कभी बाहर  जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी
      'घट घट  में है उसका वास ' 
                        अगर आप को कोई तकलीफ है तो आप किसी के पास जाते है , क्यूं ? समाधान के लिए लेकिन उसका समाधान कई - कई साल नहीं निकलता फिर अचानक से आपकी समस्या हल हो जाती है आप सोचते है की उस बाबा के पास या किसी के पास गए थे तब हुआ जबकि ऐसा  नहीं होता , वक़्त पर ही आपको सब मिलता है और आप भरम् पाल लेते है ,सोचिये अगर आप सीधा परमात्मा से प्रेम पाने की बजाए दूसरों के पास जाकर मन की शान्ति और परमात्मा ढूंढते है , उनके जरिये सुख ढूँढ़ते है तो यह एक वहम के इलावा कुछ नहीं।  अगर उससे कुछ पाना है या उसे पाना है तो खुद उससे प्यार करे न की दूसरों के जरिये उसे पाने की सोच ।
                          अगर दूसरों के जरिये परमात्मा मिलता या मन की शान्ति मिलती तो शायद आज आबादी के तकरीबन 70 प्रतिश्त लोग सत्संगो में जाते है फिर भी उनके घर बीमारिया , झगड़े या कोई न कोई  दुःख देखने को मिल जाता है। फिर तो 70 प्रतिश्त लोगो के अच्छे कर्मो के कारण सारी  दुनिया में  सुख शान्ति होनी थी पर ऐसा कुछ भी नहीं है , अगर आप सीधे  बात करने की बजाए किसी को माध्यम बना कर चलते है तो फिर आप उससे कैसे जुड़ सकते है वह तो हर वक़्त आपके पास होता है पर आप उसे खुद ही छोड़ कर बाहर चले जाते है , तो उसे कैसा लगता होगा । गुरु भी कलयुग में देख कर ही बनाना चाहिये ,नहीं तो सबसे आसान उपाय उस सर्व शक्तिमान परमत्मा को ही गुरु मान कर चले।  बाहर कुछ मिले न मिले पर हर समय वह आपको प्यार देगा। 
"ढूढ़े तू उसको जहां , 
मिला बता कितनो को वहां ,
छोड़ आया तू  जो जगह , 
बैठा था मेरा मालिक वहां।" 
                    जय श्री राम जय बाला जी। 
 

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