जय माता दी ,
कैसे हो दोस्तों , उम्मीद हैं आप स्वस्थ्य और मस्त होगें । मैया के नवरात्रे चल रहें हैं । माँ नवरात्रों में सबके कष्ट हर लेती हैं , अगर मन सच्चा तो सब अच्छा ।
माँ दुर्गा की पूजा विशेष रूप से वर्ष में दो बार होती हैं । नवरात्रे शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होते हैं और नवमी तक मैया के नौ ( 9 ) स्वरूपों की पूजा की जाती हैं , लोग रात्रि में भी जाग कर जागरण एंव कीर्तन करते हैं , कई लोग दिन और रात माँ की अखंड ज्योति प्रज्जवलित करते हैं , इसलिए इन्हें नवरात्रें कहा गया हैं ।
पूजा पाठ विधि :-
माँ के भक्तों को नवरात्रों में सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से शुद्ध होकर , शुद्ध वस्त्र पहननें चाहिए । जहाँ पूजा स्थल हो उसे अपने सामर्थ्य अनुसार सजाना चाहिए । पूजा स्थल पर मैया दुर्गा की मूर्ति या चित्र की स्थापना कर दायीं तरफ कलश स्थापना करनी चाहिए और कलश के ठीक सामने मिट्टी के बनें नये बर्तन में रेत डालकर जौं बो दें । मिट्टी के बर्तन की जगह कोई और भीं खुले मुँह वाला बर्तन ले सकते हैं । पूर्व की तरफ दीपक की स्थापना करें । सर्वप्रथम श्री गणेश जी का पूजन करें तत्पश्चत माँ का पूजन करना चाहिए ।
पूजा में हमें गंगाजल , पंचामृत ( दूध , दही , घी , शहद , शक्कर ) , नारियल , रेशमी वस्त्र , नारियल , चन्दन , पुष्प , रोली , मोली , फल , पान, सुपारी , लौंग और इलायची चढ़ा कर पूजा करनी चाहिए । वैसे माँ भाव ही देखती हैं अगर कुछ सामर्थ्य में नहीं हैं तो भीं मन में श्रद्धा से मनोकामना पूर्ण होती हैं ।
नवरात्रों में हृदय शुद्ध रखे और मैया के प्रति श्रद्धा पूर्ण रूप से रखें । इन दिनों निन्दा , क्रोध , झूठ छोड़ देना चाहिए । दूसरे के घर का भोज़न ग्रहण ना करें । शुद्धता और सात्विकता के मार्ग पर चलना चाहिए ।
कंजक पूजन विधि :-
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी को कंजक पूजन किया जाता हैं । पूजन में नौ कन्याओं को पूजा जाता हैं । अगर साम्थर्य ना हो तो दो की भी श्रद्धा से पूजा कर सकते हैं । जिन कंजको को भोजन कराया जाता हैं , वो दो वर्ष से कम तथा 10 वर्ष से ऊपर नहीं होनी चाहिए ।
पहले कन्याओं के पैर धोने चाहिए और फिर रोली का तिलक लगाकर उनकी कलाई पर मोली बाँधनी चाहिए । उनकों घर पर तैयार हलवा पूरी का प्रशाद खिलाना चाहिए और बाद में जब कन्याएँ भोजन कर ले तो अपने सिर पर उनसे अक्षत छिड़कवायें और उनसे आर्शीवाद लें। उन्हें अपने साम्थर्य अनुसार कोई उपहार जरूर भेंट करें एंव जोर से मैया का जयकारा लगायें इससे माँ आप पर जरूर प्रसन्न होगीं ।
सब प्रकार के कल्याण हेतु
सर्वमङ्ग लमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥
आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परमं सुखम ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
इसी के साथ जय माता दी कहते हुए शब्दों को विराम देते हैं , आपके नवरात्रें मंगलमय हो और माँ दुनिया में सबको सद् बुद्धि प्रदान करें तांकि दुनिया में स्वार्थ भावना खत्म हो जिससें पाप कर्म का बीज पैदा होता हैं ।
जयकारा शेरावाली दा ,
बोल सच्चें दरबार की जय ।
संजीव कुक्कड़


3 टिप्पणियाँ
Jai mata di🙏🙏
जवाब देंहटाएंजय माता दी
जवाब देंहटाएंJai Maa
जवाब देंहटाएंहम अपनी तरफ से अच्छें लेखन का प्रयास करते हैं , आप अपनें कीमती सुझाव हमें कमेंट में जरूर बतायें , तांकि हमारा लेखन कार्य और भी निखर सकें । हम अपने ब्लाग में आपको नयी रेसिपी , हिन्दी निबंध , नयी कविताएँ और धर्म के बारे में लेखन के साथ अन्य जानकारियों पर भी लेखन कार्य बढ़ा रहे हैं । आपका सहयोग हमारे लिए बहुत अनिवार्य हैं जिससे हम आगे का सफ़र तय कर पायेगें ।
धन्यावाद
कुक्कड़ वर्ल्डस