क्यूँकि जिंदा मुर्दो का यह जहान हैं ।
किसी को किसी से कुछ सरोकार नहीं ,
मतलब के बिना कोई दरकार नहीं ।
रिश्तों का पतन है ,भावनाएं खत्म है ।
कहने को बगान है पर,
" जिंदा मुर्दो का यह जहान है । "
झूठीं होती यहाँ सलाम है ,
पैसे की भूख के गुलाम है ।
श्वेत वस्त्र आत्मा पर काली है ,
हर वक्त जीभ पे कंगाली है ।
सोशल मीडिया पर सबकी सोच तो महान है,
पर " जिंदा मुर्दो का यह जहान है । "
कौन है मूर्ख यहाँ ? सब तो ज्ञानी है ,
धर्म - कर्म ज्ञाता , बातों के दानी हैं ।
बने चाहें ना बने , बुरा चाहे लाख हो ,
फिर भीं मीठी यहाँ वाणी है,
अपनी अर्थी के लिए भीड़ जो जुटानी है ।
दूसरों का कहानी हैं ।
ड़र नहीं भगवान का , पाप कर
भेंट ही तो चढ़ानी हैं ।
अर्न्तात्मा तो मर गयी ,
बस अपना ही ध्यान हैं ,
क्यूंकि " जिंदा मुर्दो का यह जहान है "
"जिंदा मुर्दो का यह जहान है । "
संजीव कुक्कड़


4 टिप्पणियाँ
Nice
जवाब देंहटाएंThx Soooo Much
हटाएंVry nice
जवाब देंहटाएंThx Soooo much
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कुक्कड़ वर्ल्डस